हमारे हरि हारिल की लकरी । मन क्रम बचन नंद-नंदन उर, यह दृढ़ करि पकरी । जागत सोवत स्वप्न दिवस-निसि, कान्ह-कान्ह जक री। सुनत जोग लागत है ऐसौ, ज्यों करुई ककरी

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