Class 10 Science Physics Chapter 1 Notes in Hindi

प्रकाश का परावर्तन तथा अपवर्तन Class 10 Science Notes in Hindi : Class 10 Science Chapter 1 Notes in Hindi Class 10 Science Physics Chapter 1 Notes Class 10 Science Notes PDF Download 

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अध्याय – 1 प्रकाश का परावर्तन तथा अपवर्तन

प्रकाश क्या है ?

प्रकाश – यह एक प्रकार की ऊर्जा है जो हमारी आंखों में संवेदना उत्पन्न करती है जिससे हमें वस्तुएं दिखाई देती हैं।

प्रकाश के गुण क्या है ?

प्रकाश के निम्नलिखित गुण हैं –

  1. प्रकाश विद्युत चुंबकीय विकरणों के रूप में चलता है।
  2. निर्वात में प्रकाश की चाल 3 × 10⁸ m/s होती है।
  3. प्रकाश सदैव सरल रेखा में चलता है।
  4. प्रकाश अपारदर्शी माध्यम से नहीं गुजर पाता है।
  5. चमकदार सतह से प्रकाश का परावर्तन होता है।
  6. श्वेत प्रकाश में सात रंग होते हैं।

प्रकाश किरण किसे कहते हैं ?

किसी समांग माध्यम में प्रकाश एक बिन्दु से दूसरे बिंदु तक जिस ऋजु रेखीय मार्ग से जाती है उसे प्रकाश किरण कहते हैं।

अभिसारी किरण पुंज किसे कहते हैं ?

अभिसारी प्रकाश पुंज यदि आप तीर्थ किरण की प्रकाश की सभी किरण एक बिंदु पर मिलती हो तो इसे अभिसारी किरण पुंज कहते हैं।

अपसारी किरण पुंज किसे कहते हैं ?

अपसारी किरण पुंज – यदि प्रकाश की सभी करने किसी एक बिंदु से आती हुई प्रतीत हो रही है, तो उसे अपसारी किरण पुंज कहते हैं।

समांतर किरण पुंज किसे कहते हैं ?

समांतर किरण पुंज – यदि प्रकाश की सभी किरणे आपस में कभी न मिलती हों और सदैव एक दूसरे की समांतर रहती हैं तो उसे समांतर किरण पुंज कहते हैं।

प्रकाश का परावर्तन किसे कहते हैं ?

प्रकाश का परावर्तन जब प्रकाश किसी चिकनी या पॉलिशदार सतह से टकराकर, उसी माध्यम में वापस लौट जाता है, तो इस क्रिया को प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।

परावर्तन के दो नियम कौन से हैं ?

परावर्तन के नियम – परावर्तन के निम्नलिखित दो नियम है।

  1. आपतन कोण सदैव परावर्तन कोण की बराबर होता है।
  2. आपतित किरण, परावर्तित किरण तथा अभिलंब तीनों एक ही तल में होते है।

Class 10 Science Physics Chapter 1 Notes in Hindi ( प्रकाश का परावर्तन तथा अपवर्तन ) 

 

समतल दर्पण प्रतिबिंब की विशेषताएं अथवा गुण लिखिए।

समतल दर्पण प्रतिबिंब की निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं –

  1. समतल दर्पण द्वारा वस्तु का प्रतिबिंब सदैव आभासी सीधा तथा दर्पण की लंबवत ठीक पीछे उतनी ही दूरी पर बनता है जितनी दूरी पर वास्तु दर्पण के सामने रखी होती है।
  2. समतल दर्पण द्वारा अपनी प्रतिबिंब का आकार वस्तु के आकार के बराबर होता है।
  3. समतल दर्पण से सदैव आभासी प्रतिबिंब बनता है।
  4. किसी व्यक्ति को पूरा प्रतिबिंब देखने के लिए समतल दर्पण के लिए न्यूनतम ऊंचाई व्यक्ति की ऊंचाई की आधी लंबाई के दर्पण की आवश्यकता होती है।
  5. समतल दर्पण की फोकस दूरी अनंत होती है।
    समतल दर्पण से बने प्रतिबिंब का आकार वस्तु के आकार के बराबर होता है ।

गोलीय दर्पण किसे कहते हैं ?

गोलीय दर्पण गोलीय दर्पण कांच की खोखले गोले का काटा गया एक भाग होता है जिसके एक तल पर पारे या चांदी की कलई करके उसके ऊपर आयरन ऑक्साइड का लाल पेंट कर दिया जाता है जिससे दूसरा ताल प्रवर्तक हो जाता है जो चमकदार होता है।

गोलीय दर्पण कितने प्रकार की होती हैं ?

गोलीय दर्पण मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं।

  1. अवतल दर्पण
  2. उत्तल दर्पण

अवतल दर्पण – वह गोलीय दर्पण जिसका परावर्तक तल अंदर की और धंसा होता है उसे अवतल दर्पण कहते हैं।

उत्तल दर्पण – वह गोलीय दर्पण जिसका परावर्तक तल बाहर की ओर उठा होता है उसे उत्तल दर्पण कहते हैं।

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गोलीय दर्पण से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएं –

दर्पण का ध्रुव किसे कहते हैं ?

दर्पण का ध्रुव – गोलीय दर्पण के प्रवर्तक तल के पृष्ठ को घर पर का ध्रुव कहते हैं इसे P प्रदर्शित करते हैं।

वक्रता केंद्र किसे कहते हैं ?

वक्रता केंद्र – गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ , कांच के जिस खोखले गोले का भाग होता है उसे गोले का केंद्र दर्पण का वक्रता केंद्र कहलाता है इसे C से प्रदर्शित करते हैं।

वक्रता त्रिज्या किसे कहते हैं ?

वक्रता त्रिज्या – गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ कांच के जिस खोखले गोले का भाग होता है, उसकी त्रिज्या गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या कहलाती है इस R से प्रदर्शित करते हैं।

मुख्य अक्ष किसे कहते हैं ?

मुख्य अक्ष – दर्पण के ध्रुव तथा वक्रता केंद्र को मिलने वाली रेखा को दर्पण का मुख्य अक्ष कहते हैं।

मुख्य फोकस किसे कहते हैं ?

मुख्य फोकस – गोलीय दर्पण में मुख्य अक्ष के समांतर आपतित प्रकाश किरणे दर्पण से परावर्तन की पश्चात मुख्य अक्ष जिस बिंदु से पर मिलती है (अवतल दर्पण ) में या मिलती हुई प्रतीत होती है (उत्तल दर्पण) में उसे बिंदु को दर्पण का मुख्य फोकस कहते हैं इस f से प्रदर्शित करते हैं।

फोकस दूरी किसे कहते हैं ?

फोकस दूरी – गोलीय दर्पण के ध्रुव तथा मुख्य फोकस के बीच की दूरी को दर्पण की फोकस दूरी कहते हैं।

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गोलीय दर्पण से प्रतिबिंब बनाने के नियम –

गोलीय दर्पण से प्रतिबिंब बनाने के लिए निम्नलिखित तीन नियम हैं –

  1. गोलीय दर्पण के मुख्य अक्ष की समांतर आपतित प्रकाश की किरण परावर्तन के पश्चात मुख्य फोकस से होकर जाती है या मुख फोकस में आई हुई प्रतीत होती है ( उत्तल दर्पण में )
  2. जब कोई प्रकाश की किरण अवतल दर्पण में वक्रता केंद्र में से होकर जाती है। तो उसी माध्यम में वापस चली जाती है।
  3. मुख्य फोकस से जाने वाली (अवतल दर्पण) मुख्य फोकस की ओर जाने वाली दर्पण के पश्चात मुख्य अक्ष के समांतर हो जाती है।

अवतल दर्पण के उपयोग –

  1. अवतल दर्पण का उपयोग दाढ़ी बनाने में किया जाता है।
  2. अवतल दर्पण का उपयोग डॉक्टर मरीज के दांतों , नाक, कान , गले की जांच में बड़ा देखने के लिए उपयोग करते हैं।
  3. अवतल दर्पण का उपयोग टॉर्च सर्च लाइट मोटर करो तथा रेलवे इंजन में प्रकाश का शक्तिशाली किरण पुंज प्राप्त करने के लिए प्रयोग किया जाता है।

गोलीय दर्पण से प्रतिबिंब के लिए चिन्ह परिपाटी –

  1. दर्पण पर प्रकाश किरण सदैव बाएं ओर से डाली जाती है।
  2. सभी दूरियां आपतित किरण की दिशा में दर्पण की ध्रुव से मुख्य अक्ष से नापी जाती हैं।
  3. जो दूरियां आपतित किरण की दिशा में नापी जाती हैं वे धनात्मक चिन्ह के साथ ली जाती हैं।
  4. जो दूरियां आपतित किरण के विपरीत दिशा में नापी जाती है , ऋणात्मक चिन्ह के साथ लिखी जाती हैं।
  5. वस्तु तथा प्रतिबिंब की लंबाई मुख्य अक्ष के ऊपर धनात्मक तथा मुख्य अक्ष के नीचे की ओर ऋणात्मक चिन्ह के साथ ली जाती हैं।
  6. अवतल दर्पण की फोकस दूरी धनात्मक तथा उत्तल दर्पण की फोकस दूरी धनात्मक होती है।

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रेखीय आवर्धन किसे कहते हैं ?

रेखीय आवर्धन – दर्पण द्वारा बने किसी वस्तु के प्रतिबिंब की लंबाई तथा वस्तु की लंबाई के अनुपात को प्रतिबिंब का रेखीय आवर्धन कहते हैं, प्रतिबिंब की रेखीय आवर्धन को m से प्रदर्शित करते हैं।

प्रकाश का अपवर्तन किसे कहते हैं ?

प्रकाश की कोई किरण जब एक माध्यम से दूसरे माध्यम में जाती है वह अपनी मार्ग से विचलित हो जाती है इस घटना को प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं।

अपवर्तन के दो नियम क्या है ?

प्रकाश के अपवर्तन के दो नियम निम्नलिखित हैं –

  1. आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा आपतन बिंदु पर अभिलंब तीनों एक ही तल में होते हैं।
  2. किन्ही दो माध्यमों तथा एक ही रंग के लिए प्रकाश के लिए आपतन कोण की ज्या (Sin i) तथा अपवर्तन कोण की ज्या ( Sin r ) का अनुपात एक नियतांक होता है, इन नियम को स्नैल का नियम भी कहते हैं।

Sin i /Sin r = नियातंक

इस नियतांक को पहले माध्यम की सापेक्ष दूसरे माध्यम का अपवर्तनांक कहते हैं इस n से प्रदर्शित करते हैं।

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