BHDC -134 Question Paper June 2025

BHDC -134 Question Paper June 2025 | IGNOU BHDC 134: हिन्दी गद्य साहित्य Question Paper 2025

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स्नातक उपाधि कार्यक्रम (CBCS) (BAG)

सत्रांत परीक्षा जून, 2025

बी.एच.डी.सी.-134: हिन्दी गद्य साहित्य

समय : 3 घण्टे अधिकतम अंक: 100

नोट: प्रथम प्रश्न अनिवार्य है। शेष में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

1. निम्नलिखित गद्यांशों में से किन्हीं दो की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए :

(क) तुझसे ही वह सहायता न लूँगी तो किससे लूँगी। लेकिन सहायता का हाथ देकर क्या मुझे यहाँ से उठाकर ऊँचे वर्ग में जा बिठाने की

इच्छा है तो भाई, मुझे माफ कर दो। वैसी मेरी अभिलाषा नहीं है। सहायता मुझे इसलिए चाहिए कि मेरा मन पक्का होता रहे कि कोई मुझे

कुचले, तो भी मैं कुचली न जाऊँ और इतनी जीवित रहूँ कि उसके पाप के बोझ को भी ले लूँ और सबके लिए क्षमा की प्रार्थना करूँ।

(ख) सभी लोग विस्मित हो रहे थे। इसलिए नहीं कि इसलिए कि वह कानून के पंजे में कैसे आये।  अलोपीदीन ने क्यों यह कर्म किया ?

बल्कि ऐसा मनुष्य जिसके असाध्य साधन करने वाला धन और अनन्य वाचालता हो, वह क्यों कानून के पंजे में आये। प्रत्येक मनुष्य उनसे

सहानुभूति प्रकट करता था। बड़ी तत्परता से इस आक्रमण को रोकने के निमित्त वकीलों की एक सेना तैयार की गई। न्याय के मैदान में धर्म

और धन युद्ध ठन गया। वंशीधर चुपचाप खड़े थे। उनके पास सत्य के सिवा न कोई बल था, न स्पष्ट भाषण के अतिरिक्त कोई शस्त्र, गवाह

थे, किंतु लोभ से डावाँडोल।

(ग) गजाधार बाबू बैठे हुए पत्नी को देखते रह गए। यही थी क्या उनकी पत्नी, जिसके हाथों के कोमल स्पर्श, जिसकी मुस्कान की याद में

उन्होंने संपूर्ण  जीवन काट दिया था ? उन्हें लगा कि वह लावण्यमयी युवती जीवन की राह में कहीं खो गई और उसकी जगह आज जो स्त्री

है, वह उनके मन और प्राणों के लिए नितांत अपरिचिता है। गाढ़ी नींद में डूबी उनकी पत्नी का भारी-सा शरीर बहुत बेडौल और कुरूप लग

रहा था, चेहरा श्रीहीन और रूखा था।

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(घ) गजाधर बाबू ने चाहा था कि वह भी इस मनोविनोद में भाग लेते, पर उनके आते ही जैसे सब कुण्ठित हो चुप हो गए। उससे उनके मन

में थोड़ी-सी खिन्नता उपज आई। बैठते हुए बोले, “बसन्ती, चाय मुझे भी देना। तुम्हारी अम्मा की पूजा अभी चल रही है क्या?” बसन्ती ने माँ

की कोठरी की ओर देखा, “अभी आती ही होंगी,” और प्याले में उनके लिए चाय छानने लगी। बहू चुपचाप पहले ही चली गयी थी, अब नरेन्द्र

भी चाय का आखिरी घूँट पीकर उठ खड़ा हुआ, केवल बसन्ती, पिता के लिहाज में, चौके में बैठी माँ की राह देखने लगी।

2. हिन्दी गद्य की पृष्ठभूमि बताते हुए प्रारंभिक हिन्दी गद्य लेखन की चर्चा कीजिए।

3. हिन्दी कहानी का स्वरूप स्पष्ट करते हुए तत्वों पर प्रकाश डालिए।

4. ‘नमक का दारोगा’ के परिवेश और संरचना-शिल्प का विवेचन कीजिए।

5. ‘चम्पा’ की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए।

6. ‘लोभ और प्रीति ‘ निबंध के वैचारिक पक्ष का विश्लेषण कीजिए।

7. ‘सहस्र फणों का मणि-दीप’ के कथ्य को विश्लेषित कीजिए।

8. निम्नलिखित में से किन्हीं दो पर टिप्पणियाँ लिखिए :

(क) द्विवेदीयुगीन गद्य

(ख) आत्मकथा और जीवनी

(ग) प्रमोद की चारित्रिक विशेषताएँ

(घ) ‘कुटज’ निबंध की भाषा-शैली

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