BHDC -109 Question Paper June 2025 | IGNOU BHDC 109: हिन्दी उपन्यास Question Paper 2025

IGNOU BHDC 109 हिन्दी उपन्यास Previous Year Question Paper Pdf Download :  BHDC 109 June 2025 Question Paper Pdf

Here you can downloa ignou Bhdc 109 important questions pdf download Bhdc 109 important questions pdf Bhdc 109 important questions and answers BHDC -109 Question Paper June 2025

Read More : BHDC 101 Question Paper June 2025

बी. ए. (ऑनर्स) हिंदी

(बी. ए. एच. डी. एच.)

सत्रांत परीक्षा जून, 2024

बी.एच.डी.सी.-109: हिन्दी उपन्यास

समय :3 घण्टे अधिकतम अंक:100

नोट : प्रथम प्रश्न अनिवार्य है। शेष में से किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर दीजिए।

1. निम्नलिखित गद्यांशों में से किन्हीं तीन की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए : 

(क) बालक का सरल निष्कपट हृदय पितृ-प्रेम से पुलकित हो उठा। मालूम हुआ कि साक्षात् भगवान खड़े हैं। नैराश्य और क्षोभ से विकल

होकर उसने मन में अपने पिता को निष्ठुर और न जाने क्या-क्या समझ रखा था। विमाता से उसे कोई गिला न था। अब उसे ज्ञात हुआ कि

मैंने अपने देवतुल्य पिता के साथ कितना अन्याय किया है। पितृ- भक्ति की एक तरंग-सी हृदय में उठी, और वह पिता के चरणों पर सिर

रखकर रोने लगा।

(ख) काम कम होता है, हुल्लड़ अधिक। जरा-जरा-सी बात पर घण्टों तर्क-वितर्क होता है और अन्त में वकील साहब को आकर निर्णय

करना पड़ता है। एक कहता है, यह घी खराब है, दूसरा कहता है, इससे अच्छा बाजार में मिल जाये तो टाँग की राह से निकल जाऊँ। तीसरा

कहता है, इसमें तो हीक आती है। चौथा कहता है, तुम्हारी नाक ही सड़ गई है, तुम क्या जानो घी किसे कहते हैं।

BHDC -109 Question Paper June 2025

(ग) रामघाट पर नित्य बाबा रामचरितमानस सुनाते हैं। कोल-किरात आदि गण दूर-दूर से आकर आजकल चित्रकूट में ही अपना डेरा

जमाए हुए हैं। वे बाबा के लिए फल, फूल, कंद, मूल, दूध, दही आदि लेकर आते हैं। इस समय रामजियावन के घर में मानो आठों सिद्धि

नवोनिधियों का वास है। तीसरे पहर कथा होती है और फिर भक्तों की भीड़ रामजियावन के घर में सजी हुई झाँकी देखने के लिए आती है।

चित्रकूट की गली-गली में भक्तों की भीड़ यत्र-तत्र अपने बसेरे बसाए पड़ी है।

(घ) ऊँघती लहराती बालों को किसी कागज पर उतार लिया जाये। पहाड़ों की ऊँचाइयों को एक स्थल पर क्यों न इकट्ठा कर लूँ ? बड़े-बड़े

पेड़ों के वन्दनवार बना लिये जायें और डालियों-पत्तों के साजां के झरोखे। उनमें से चाँदी की कड़ियों वाली लहरों को नाचता हुआ देखा जाये

और फिर गाऊँ, जाग परी मैं पिय के जगाये लहरें चाँदी आर मोतियों के हार से पहने हुए इठलाती हुई नाचती रहेंगी, वन्दनवार सदा हरे

रहेंगे, पत्तों की झिलमिलियाँ निरन्तर चाँदनी की भीगी हुई चमक और फूलों की महक से लदी रहेंगी।

(ङ) बंटी बहुत संकुचित हो आया। भीतर हो भीतर कहीं गुस्सा भी आने लगा। फूफी ऐसा कहती तो मजा रखा देता। पापा से क्या कहे ? पर

पापा ऐसी बात कहते ही क्यों हैं? खुद तो ममी के साथ नहीं रहते, चाहते हैं वह भी नहीं रहे। बहुत चालाक हैं। एकाएक उसके मन में सामने

बैठे पापा के लिए गुस्सा उफनने लगा। बहुत मन हुआ पूछे, आप ममी को भी साथ लेकर क्यों नहीं चलते ?

Bhdc 109 paper june 2025 with answers

2. हिन्दी उपन्यास के विकास पर प्रकाश डालिये।

3. प्रेमचन्द के उपन्यासों का परिचय दीजिये। 

4. ‘त्याग-पत्र’ उपन्यास की भाषा और शैलीगत विशेषताओं पर विचार कीजिए।

5. ‘मानस का हंस’ उपन्यास के शिल्पगत वैशिष्ट्य पर प्रकाश डालिए

6. ‘मृगनयनी’ के कथानक के अवान्तर प्रसंगों पर विचार कीजिये।

7. ‘आपका बंटी’ उपन्यास की परिवेशगत विशिष्टताओं की चर्चा कीजिए।

8. निम्नलिखित विषयों में से किन्हीं दो पर टिप्पणियाँ लिखिए :

(क) कथावस्तु के आधार पर उपन्यास के भेद

(ख) ‘निर्मला’ उपन्यास के शीर्षक की सार्थकता

(ग) ‘पार्वती अम्माँ’ का चरित्र

(घ) ‘मृगनयनी’ में लेखकीय दृष्टि

IGNOU Official Website : Click Here

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!
Scroll to Top