BHDC -105 Question Paper June 2025 Exam | IGNOU BHDC 105: छायावादोत्तर हिन्दी कविता Question Paper 2025

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समय : 3 घण्टे अधिकतम अंक: 100

नोट : कुल पाँच प्रश्नों के उत्तर दीजिए। पथम प्रश्न अनिवार्य है।

1. निम्नलिखित काव्यांशों में से किन्हीं तीन की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए :

(क) घन गरजे जन गरजे

क्षिति की छाती को लख जर्जर

एक शोध से

घन गरजे जन गरजे

देख नाश का ताण्डव बर्बर

एक बोध से

घन गरजे जन गरजे।

(ख) कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास

कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उसके पास

 दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त

कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त।

(ग) अगर मैं तुमको

ललाती साँझ के नभ की अकेली तारिका

अब नहीं कहता,

या शरद के भोर की नीहार न्हायी कँई

टटकी कली चंपे की वगैरह, तो

नहीं कारण कि मेरा हृदय उथला या कि सूना है

या कि मेरा प्यार मैला है।

बल्कि केवल यही :

ये उपमान मैले हो गए हैं।

(घ) द्वीप हैं हम। यह नहीं है शाप।

यह अपनी नियति है। हम नदी के पुत्र हैं।

बैठे नदी के क्रोड़ में।

वह वृहद् भूखंड से हमको मिलाती है।

और वह भूखंड अपना पितर है।

(ङ) धीरे-धीरे चला अकेले

सोचा साथ किसी को ले ले

फिर रह गया, सड़क पर सब थे

सभी मौन थे सभी निहत्थे

सभी जानते थे यह उस दिन उसकी हत्या होगी।

2. प्रयोगवाद की प्रमुख प्रवृत्तियों की चर्चा कीजिए।

3. समकालीन कविता की शिल्पगत प्रवृत्तियों को रेखांकित कीजिए।

4. समकालीन हिन्दी कविता की प्रवृत्तियों को रेखांकित कीजिए।

5. केदारनाथ सिंह की काव्य परिधि पर प्रकाश डालिए।

6. ‘दिनकर’ की सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डालिए।

7. माखनलाल चतुर्वेदी के काव्य के भावपक्ष को रेखांकित कीजिए।

8. भवानी प्रसाद मिश्र के काव्य-शिल्प पर प्रकाश डालिए।

9. सर्वेश्वर दयाल सक्सेना की काव्य-संवेदना पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।

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